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इस लेसन में हमने रस के स्वरूप का वर्णन किया है कि रस को अखंड , ब्रह्मानंद सहोदर और स्वयं प्रकाशानंद क्यों कहा गया है।
10 lessons • 2h 30m
1 काव्यशास्त्र की परंपरा
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2. काव्य का स्वरूप
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3. काव्य हेतु
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4. काव्य प्रयोजन
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5. काव्य गुण एवं दोष
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6. रस निष्पत्ति
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7. रसविषयक भट्टलोल्लट एवं शंकुक का मत
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8. भट्टनायक एवं अभिनवगुप्त का रसविषयक मत
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9. रस का स्वरुप
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10. साधारणीकरण
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