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इस लेसन में हमने भरतमुनि के नाट्यशास्त्र को आधार बनाकर भारतीय काव्यशास्त्र की परंपरा के अनुसार रस विषयक मान्यताओं को प्रस्तुत किया है, विभाव अनुभाव , संचारी भाव आदि के संयोग से जो रस की उत्पत्ति होती है उस शोधपरक व्यवस्था को प्रस्तुत किया है।
10 lessons • 2h 30m
1 काव्यशास्त्र की परंपरा
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2. काव्य का स्वरूप
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3. काव्य हेतु
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4. काव्य प्रयोजन
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5. काव्य गुण एवं दोष
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6. रस निष्पत्ति
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7. रसविषयक भट्टलोल्लट एवं शंकुक का मत
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8. भट्टनायक एवं अभिनवगुप्त का रसविषयक मत
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9. रस का स्वरुप
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10. साधारणीकरण
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